जाने क्यों हर रिश्ता झूठा लगता है,
सब ठीक है लेकिन कुछ तो टूटा लगता है,
जीवन की हर डोरी सच्ची लगती है,
फिर भी इसको जीना झूठा लगता है,
तुम बिन मुझको हर पल जीना पड़ता है,
हंस कर इस गम को भी पीना पड़ता है,
साथ तो हो तुम मेरे लेकिन क्यों कर मुझको,
हाथ तुम्हारा मुझसे छूटा लगता है....
सब ठीक है लेकिन कुछ तो टूटा लगता है..
कितना अरसा बीत चुका उस मंज़र को,
पर कौन समझ सका है वक़्त के खंज़र को,
रूठ चुके है सारे रिश्ते जैसे अब,
प्यार हमारा जबसे रूठा लगता है...
सब ठीक है लेकिन कुछ तो टूटा लगता है...
जाने क्यों हर रिश्ता झूठा लगता है....
सब ठीक है लेकिन कुछ तो टूटा लगता है,
जीवन की हर डोरी सच्ची लगती है,
फिर भी इसको जीना झूठा लगता है,
तुम बिन मुझको हर पल जीना पड़ता है,
हंस कर इस गम को भी पीना पड़ता है,
साथ तो हो तुम मेरे लेकिन क्यों कर मुझको,
हाथ तुम्हारा मुझसे छूटा लगता है....
सब ठीक है लेकिन कुछ तो टूटा लगता है..
कितना अरसा बीत चुका उस मंज़र को,
पर कौन समझ सका है वक़्त के खंज़र को,
रूठ चुके है सारे रिश्ते जैसे अब,
प्यार हमारा जबसे रूठा लगता है...
सब ठीक है लेकिन कुछ तो टूटा लगता है...
जाने क्यों हर रिश्ता झूठा लगता है....
gahre bhaav.....
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