Sunday, November 15, 2015

शाम

आज की शाम कुछ कुछ नई सी लगती है, आज ये जिंदगी जिंदगी सी लगती है। 
कल की शामों में जो नमी सी थी, आज वो अजनबी सी लगती है। 
जाने हर बात मुस्कुराती सी, जाने हर शै हंसी सी लगती है ,
जिंदगी जिंदगी सी लगती है , जिंदगी जिंदगी सी लगती है

जो राहें थी हमें बहाती चली, उनसे दूरी भली सी लगती है। 
कल की खुशियों में गम का आलम था, आज हर गम ख़ुशी सी लगती है। 
आज की जिंदगी जिंदगी सी लगती है , आज की शाम कुछ कुछ नई सी लगती है। 

आज पाया है कल्पना ही  को, आज हर कल्पना हक़ीक़त भरी सी लगती है। 
आज हर शै हंसी सी लगती है , ये शाम कुछ कुछ नई सी लगती है , 
जिंदगी जिंदगी सी लगती है, जिंदगी जिंदगी सी लगती है।