Wednesday, August 24, 2011

मैं

मैं अनजानी सी राहों में , कुछ भूली भटकी राहों सी
कुछ सहमी सहमी रातों सी, कुछ घबरायी सी बातों सी
हूँ तो मैं बहुत साधारण सी , फिर भी उलझे जज्बातों सी
कह दूं तो अथाह सागर हूँ, चुप रहूँ तो टूटती सासों सी
चुप रहूँ , तो टूटती सासों सी

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