Saturday, April 8, 2017

अधूरे खाब

सही और गलत से परे भी कुछ हिसाब होते है ,
जो पूरे होते नहीं कभी कुछ ऐसे भी खाब होते है!

खाब ऐसे जो किसी से कभी बाटें नहीं जाते,
खाब ऐसे जो टूटे तो समेटे भी नहीं जाते !

फिर भी परछाई के जैसे हर लम्हा साथ होते है,
होते है हर किसी के ही, कुछ ऐसे इंतखाब (selection) होते है !

जो पूरे होते नहीं कभी, कुछ ऐसे भी खाब होते है,
क्योंकि सही और गलत से परे भी कुछ हिसाब होते है,
जो पूरे होते नहीं कभी, कुछ ऐसे भी खाब होते है !


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